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आज की राजनीती

KABHI AANA ZINDAGI
KABHI AANA ZINDAGI
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जाओ जाके देखो
सुबह सवेरे कौन संदेशा लाया होगा ?
मुझको ऐसा क्यों लगता है
ज्यों बाहर अँधेरा छाया होगा !!
क्या??…चाँद सितारों की ये मजाल
जो वो सूरज का अपहरण करें !!!
नील गगन की सरकार में लगता
कोई धरती-नेता घुस आया होगा !!
सूरज भी तो कल कहता था
सहन न होगा अब ये सब
बहुत हो गया सफर अकेले !!
उसने भी अपना विद्रोही परचम
बीच गगन फहराया होगा !!
राजनीती के तेवर हैं सब
कारण कोई और नहीं
किया धरा सब उस नेता का है
जो उनको लड़वाया होगा !!
रहम करें ये कुर्सीबाज
आसमान को तो बख्श दें
कहीं आसमान ही न टूट पड़े
धरती तो दौर-ए-बर्बादी है
खतरा ऊपर भी गहराया होगा !!!

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